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Amrita pritam 100,000+ searches अमृता प्रीतम की मशहूर नज़्म- मैं तुझे फिर मिलूँगी.... अमर उजाला अमृता प्रीतम ने अपनी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' में साहिर लुधियानवी के अलावा अपने और इमरोज़ के बीच के आत्मिक रिश्तों को भी बेहतरीन ढंग से क़लमबंद किया। इस किताब में अमृता ने अपनी ज़िंदगी की कई परतों को खोलने की कोशिश की है। इमरोज़, अमृता की जिंदगी में आए तीसरे पुरुष थे। हालांकि वह पूरे जीवन साहिर से प्यार करती रहीं। अमृता कई बार इमरोज़ से कहतीं- "अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते।" प्रस्तुत है उनकी एक नज़्म मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं शायद तेरे कल्पनाओं की प्रेरणा बन तेरे केनवास पर उतरुँगी या तेरे केनवास पर | ||||||
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Friday, 30 August 2019
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